Saturday, September 25, 2021

बाबोसा भगवान व्रतोत्सव

                                                                        जय श्री बाबोसा


                                                                        


















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सपने साकार|

Monday, August 9, 2021

डाकिया जा रे / Dakiya Ja Re – Mukesh Bagda

 

डाकिया जा रे / Dakiya Ja Re–Mukesh Bagda

Dakiya Ja Re Lyrics in Hindi – ‘Dakiya Ja Re’  is a Hindi Babosa Bhajan from Youtube - Bhajan Sagar channel This bhajan is sung by Mukesh Bagda. Lyrics of Dakiya Ja Re Bhajan are traditional.  Films. Enjoy the bhajan. Jai Shree Babosa.


Song – Dakiya Ja Re
Singer – Mukesh Bagda
Lyrics – Traditional

Youtube Link :- https://youtu.be/2JsN9B8goeE


Dakiya Ja Re Lyrics in Hindi

डाकिया जा रे
बाबोसा नै संदेशो दीजे
बाबोसा नै जायत कह दीजे
भगत थारे दर्शन नै तरसे
डाकिया जा रे

(संगीत)

कोणसै गांव थारो बाबोसा बस्यो है
इतनो माहनै बता दे
सेवक रे
गर तेरे पास है कोई निशानी
माहनै तू दिखला दे

कइयाँ जानुँगा पिछाण पिछाण
मैं हूँ छोरो अनजान
कैंया जानुँगा पिछाण पिछाण
मैं हूँ छोरो अनजान
कैंया श्याम सु होसी मिलन
डाकिया जा रे

(संगीत)

चूरू में है बाबोसा जी को मंदिर
शिखर धवजा लहरावै
डाकिया ओ
ड्योडी पर हनुमान बिराजै
सेवक चंवर डुलावै

नौबत बजे बार
गूंजै हरदम जय जय कार
 नौबत बजे बार
गूंजै हरदम जय जय कार
सज धज बैठो है बाबोसा सजन
डाकिया जा रे

(संगीत)

पहुंच गयो दरबार बाबोसा कै
बोलण लाग्यो सन्देशो
बाबा ओ
बण बेठ्यो कद बाबोसा दीवानो
कुछ ना रह्यो अंदेशो

आंखड़ ल्या सूं बरसी धार
जइयाँ सावण की फुहार
आंखड़ ल्या सूं बरसी धार
जइयाँ सावण की फुहार
देख  बोल्यो यह वचन
डाकिया जा रे

(संगीत)

कह दीजे तू जाय सेवक नै
तेरो बुलावो आ सी
सेवक रे
सब की आस पुराहु हूँ तो
तू कइयाँ रह पासी

तेरी सारी जाणू बात
पूरी कर शु मन की आस
तेरी सारी जाणू बात
पूरी कर शु मन की आस
पर बढ़ा मेरे कानी कदम
डाकिया जा रे

संदेशो सेवक नै दीजे
सेवकिया राह तेरी निरखे
संदेशो सेवक नै दीजे
सेवकिया राह तेरी निरखे
सेवक संदेशे नै तरसे
डाकिया जा रे

(संगीत)

आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ

चिठ्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिठ्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है खाटू से, चिट्ठी आई है

बड़े दिनों के बाद
मेरे श्याम धणी को आज
अरे बड़े दिनों के बाद
मेरे श्याम धणी को आज
भगत की याद सताई है

चिठ्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिठ्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है

(संगीत)

सुण संदेशो साँवरियै को
मनडो घणो हरशायो
बाबा ओ
बंध गया पाँव म घुगरिया सा
मन को मोर यो गायो

महारो श्याम बड़ो दिलदार
हो जाओ लेवण नै तैयार
महारो श्याम बड़ो दिलदार
हो जाओ लेवण नै तैयार
महिमा गावै है कमल किशन
डाकिया जा रे


We hope you understood song Dakiya Ja Re lyrics in Hindi. If you have any issue regarding the lyrics of Dakiya Ja Re song, please contact us. Thank you.

Tuesday, July 20, 2021

Mangalvar Vrat Katha, Puja Vidhi

                                                                     



Tuesday fasting, or Mangalvar Vrat, is dedicated to Lord Hanuman and to Mangal Grah. In Hinduism, every fast has one or more story associated with it and those people observing the Vrat read or listen to the story on the fasting day. There are several stories associated with Tuesday fasting. This particular Mangalvar Vrat Katha is associated with Lord Hanuman.


Once there was an old lady who was an ardent devotee of Lord Hanuman. She used to observe Mangalvar Vrat. On Tuesday, the old lady used to break her fast at a Hanuman Temple. She used to share whatever food she had with Lord Hanuman.

The old lady was living with her daughter-in-law and she used to get four chappatis on Tuesday from her daughter-in-law. The old lady used to offer two chappatis to Lord Hanuman and eat the other two.

One day the daughter-in-law found out that the old lady was offering chappatis to Hanuman and not eating it fully and wasting them. Next Tuesday she only gave two chappatis. The old lady gave one to Lord Hanuman and ate the other one.

When the daughter-in-law came to know about this she was very angry and on next Tuesday she only gave one chappati.

The old lady split the chappati into two and gave a part to Lord Hanuman and ate the other part.


The daughter-in-law thought that there is no point in feeding the old lady as she was wasting food at her family’s expense. So on next Tuesday she did not give any food to the old lady.


The old lady reached the temple empty handed and started praying to Hanuman.

Soon a young boy appeared there and asked her why is not breaking the fast and sharing her food with Hanuman.

The old lady told what happened and that today she has nothing to share with Hanuman.

The young boy invited the old lay to his home and promised her that he will provide her daily with milk, chappati, sugar and butter and she can share it with Lord Hanuman.

The old lady was very happy and the young boy asked her to stay with him. The daughter-in-law never bothered about her as she considered the old lady to be a burden.

But soon things began to change at the daughter-in-law’s home. There were diseases, accidents and other misfortunes at her home and they became extremely poor that they could not afford even a single meal.
The daughter-in-law soon realized that all this was due to her denying food to the old lady. She then decided to bring back the old lady. She went to the young boy’s home and asked the old lady to pardon her for her mistakes.

The old lady pardoned her and told the young boy that it is time for her to leave. She wanted the young boy to come with her. The young boy said that whenever she wants to see him she can come to the Hanuman Temple.

That night the old lady had a dream in which she saw that the young boy was in reality Lord Hanuman. Tears trickled from the old lady’s eyes. She could not ask for more – It was Hanuman that was protecting her and feeding her.

Soon the old lady narrated the incident to the family members.

The daughter-in-law then started to observe Mangalvar vrat and the family was soon blessed with prosperity.

         How to observe Mangalvar Vrat?

                                                                    
After self purification and bathe on Tuesday morning deities first take the blessings of Lord Ganesh by offering red colored flowers.

Next Lord Hanuman is worshipped. Lamp is lit and red flowers are offered to Lord Hanuman. A mark is made on the forehead using red colored sandalwood paste. After prayers Hanuman Chalisa or Hanuman Ashtak is chanted. For Ganesha it is Ganesha Ashtotram or any other prayers dedicated to Lord Ganesh.

The fast is from sunrise to sunset. A single meal is taken on the day and is usually made of jaggery. Salt is avoided. The food prepared for Lord Hanuman is shared by the devotee.

Red is the color of the day. Red colored clothes are worn and red colored flowers are offered to the deity.

In the evening the offering made to deity is a food prepared using Jaggery. Before breaking the fast, a story associated with Mangalvar Vrat is listened to or read. There are several stories associated with Mangalvar Vrat.

In some regions, people avoid digging up earth or plastering the home. Oil massages are also avoided on the day.

Hanuman is the patron deity of the wrestlers and they observe a rest day. They also do not massage their body to avoid hair falling.

                            


आरती:

आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||

जाके बल से गिरवर कांपे |
रोग दोष जाके निकट न झांके |

अंजनी पुत्र महा बलदाई |

सन्तन के प्रभु सदा सुहाई ||

दै बीड़ा रघुनाथ पठाये |
लंका जारि सिय सुधि लाये ||

लंका सी कोट समुद्र सी खाई |
जात पवनसुत बार ना लाई ||

लंका जारि असुर संहारे |
सिया राम के काज संवारे ||

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे |
लाये संजीवन प्राण उबारे ||

पैठि पाताल तोरि यम कारे |
अहिरावन की भुजा उखारे ||

बाये भुजा असुर संहारे |
दाहिने भुजा संत जन तारे ||

सुर नर मुनि आरती उतारे |
जै जै जै हनुमान उचारें ||

कंचन थार कपूर जलाई |
आरति करत अंजना माई ||

जो हनुमान जी की आरती गावै |
बसि बैकुंठ परमपद पावै ||

 



Saturday, July 17, 2021

Solah Somvaar Vrat Katha सोलह सोमवार व्रत कथा

                सोलह सोमवार व्रत कथा पूजा विधि : Solah Somvaar Vrat Puja Vidhi



सोमवार व्रत साधारणतया दिन के तीसरे प्रहर  अर्थात संध्या तक होता है | व्रत में यह आवश्यक है की दिन रात में एक बार ही भोजन करें |  सोमवार व्रत में शिवजी और पार्वती जी की पूजा की जाती है |  शिव पारवती जी के पूजन के बाद कथा पढ़नी या सुननी चाहिए | 





Solah Somvaar Vrat Katha : सोलह सोमवार व्रत कथा 
Monday Fasting


एक समय श्री महादेव जी पार्वती जी के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आये, वहां के राजा ने एक शिवजी का मंदिर बनवाया था। शंकर जी वहीं ठहर गये। एक दिन पार्वती जी शिवजी से बोली- नाथ! आइये आज चौसर खेलें। खेल प्रारंभ हुआ, उसी समय पुजारी पूजा करने को आये। पार्वती जी ने पूछा- पुजारी जी! बताइये जीत किसकी होगी? वह बाले शंकर जी की और अन्त में जीत पार्वती जी की हुई। पार्वती ने मिथ्या भाषण के कारण पुजारी जी को कोढ़ी होने का शाप दिया, पुजारी जी कोढ़ी हो गये।

कुछ काल बात अप्सराएं पूजन के लिए आई और पुजारी से कोढी होने का कारण पूछा- पुजारी जी ने सब बातें बतला दीं। अप्सराएं बोली- पुजारी जी! तुम सोलह सोमवार का व्रत करो। महादेव जी तुम्हारा कष्ट दूर करेंगे। पुजारी जी ने उत्सुकता से व्रत की विधि पूछी। अप्सरा बोली- सोमवार को व्रत करें, संध्योपासनोपरान्त आधा सेर गेहूं के आटे का चूरमा तथा मिट्‌टी की तीन मूर्ति बनावें और घी, गुड , दीप, नैवेद्य, बेलपत्रादि से पूजन करें। बाद में चूरमा भगवान शंकर को अर्पण कर, प्रसादी समझ वितरित कर प्रसाद लें। इस विधि से सोलह सोमवार कर सत्रहवें सोमवार को पांच सेर गेहूं के आटे की बाटी का चूरमा बनाकर भोग लगाकर बांट दें फिर सकुटुम्ब प्रसाद ग्रहण करें। ऐसा करने से शिवजी तुम्हारे मनोरथ पूर्ण करेंगे। यह कहकर अप्सरा स्वर्ग को चली गई।

पुजारी जी यथाविधि व्रत कर रोग मुक्त हुए और पूजन करने लगे। कुछ दिन बाद शिव पार्वती पुनः आये पुजारी जी को कुशल पूर्वक देख पार्वती ने रोग मुक्त होने का कारण पूछा। पुजारी के कथनानुसार पार्वती ने व्रत किया, फलस्वरूप अप्रसन्न कार्तिकेय जी माता के आज्ञाकारी हुए। कार्तिकेय जी ने भी पार्वती से पूछा कि क्या कारण है कि मेरा मन आपके चरणों में लगा? पार्वती ने वही व्रत बतलाया। कार्तिकेय जी ने भी व्रत किया, फलस्वरूप बिछुड़ा हुआ मित्र मिला। उसने भी कारण पूछा। बताने पर विवाह की इच्छा से यथाविधि व्रत किया। फलतः वह विदेश गया, वहां राजा की कन्या का स्वयंवर था। राजा का प्रण था कि हथिनी जिसको माला पहनायेगी उसी के साथ पुत्री का विवाह होगा। यह ब्राह्‌मण भी स्वयंवर देखने की इच्छा से एक ओर जा बैठा। हथिनी ने माला इसी ब्राह्‌मण कुमार को पहनाई। धूमधाम से विवाह हुआ तत्पश्चात दोनों सुख से रहने लगे। एक दिन राजकन्या ने पूछा- नाथ! आपने कौन सा पुण्य किया जिससे राजकुमारों को छोड हथिनी ने आपका वरण किया। ब्राह्‌मण ने सोलह सोमवार का व्रत सविधि बताया। राज-कन्या ने सत्पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत किया और सर्वगुण सम्पन्न पुत्र प्राप्त किया। बड़े होने पर पुत्र ने पूछा- माता जी! किस पुण्य से मेरी प्राप्ति आपको हुई? राजकन्या ने सविधि सोलह सोमवार व्रत बतलाया। पुत्र राज्य की कामना से व्रत करने लगा। उसी समय राजा के दूतों ने आकर उसे राज्य-कन्या के लिए वरण किया। आनन्द से विवाह सम्पन्न हुआ और राजा के दिवंगत होने पर ब्राह्‌मण कुमार को गद्‌दी मिली। फिर वह इस व्रत को करता रहा। एक दिन इसने अपनी पत्नी से पूजन सामग्री शिवालय में ले चलने को कहा, परन्तु उसने दासियों द्वारा भिजवा दी। जब राजा ने पूजन समाप्त किया जो आकाशवाणी हुई कि इस पत्नी को निकाल दे, नहीं तो वह तेरा सत्यानाश कर देगी। प्रभु की आज्ञा मान उसने रानी को निकाल दिया।



                                                                            


रानी भाग्य को कोसती हुई नगर में बुढ़िया के पास गई। दीन देखकर बुढिया ने इसके सिर पर सूत की पोटली रख बाजार भेजा, रास्ते में आंधी आई, पोटली उड गई। बुढिया ने फटकार कर भगा दिया। वहां से तेली के यहां पहुंची तो सब बर्तन चटक गये, उसने भी निकाल दिया। पानी पीने नदी पर पहुंची तो नदी सूख गई। सरोवर पहुंची तो हाथ का स्पर्श होते ही जल में कीड़े पड गये, उसी जल को पी कर आराम करने के लिए जिस पेड के नीचे जाती वह सूख जाता। वन और सरोवर की यह दशा देखकर ग्वाल इसे मन्दिर के गुसाई के पास ले गये। यह देखकर गुसाईं जी समझ गये यह कुलीन अबला आपत्ति की मारी हुई है। धैर्य बंधाते हुए बोले- बेटी! तू मेरे यहां रह, किसी बात की चिन्ता मत कर। रानी आश्रम में रहने लगी, परन्तु जिस वस्तु पर इसका हाथ लगे उसी में कीड़े पड जायें। दुःखी हो गुसाईं जी ने पूछा- बेटी! किस देव के अपराध से तेरी यह दशा हुई? रानी ने बताया – मैंने पति आज्ञा का उल्लंघन किया और महादेव जी के पूजन को नहीं गई। गुसाईं जी ने शिवजी से प्रार्थना की। गुसाईं जी बोले- बेटी! तुम सोलह सोमवार का व्रत करो। रानी ने सविधि व्रत पूर्ण किया। व्रत के प्रभाव से राजा को रानी की याद आई और दूतों को उसकी खोज करने भेजा। आश्रम में रानी को देखकर दूतों ने आकर राजा को रानी का पता बताया, राजा ने जाकर गुसाईं जी से कहा- महाराज! यह मेरी पत्नी है शिव जी के रुष्ट होने से मैंने इसका परित्याग किया था। अब शिवजी की कृपा से इसे लेने आया हूं। कृपया इसे जाने की आज्ञा दें। गुसाईं जी ने आज्ञा दे दी। राजा रानी नगर में आये। नगर वासियों ने नगर सजाया, बाजा बजने लगे। मंगलोच्चार हुआ। शिवजी की कृपा से प्रतिवर्ष सोलह सोमवार व्रत को कर रानी के साथ आनन्द से रहने लगा। अंत में शिवलोक को प्राप्त हुए। इसी प्रकार जो मनुष्य भक्ति सहित और विधिपूर्वक सोलह सोमवार व्रत को करता है और कथा सुनता है उसकी सब मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है।












सोमवार व्रत की आरती : 

जय शिव ओंकारा जय शिव ओंकारा |
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्दाडी धारा || टेक
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजे |
हंसानन गरुडासन बर्षवाहन साजै || जय
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अते सोहै |
तीनो रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहै || जय
अक्षयमाला वन माला मुंड माला धारी |
त्रिपुरारी कंसारी वर माला धारो || जय
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे |
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे || जय
कर मे श्रेष्ठ कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता |
जग - कर्ता जग - हर्ता जग पालन कर्ता || जय
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव जानत अविवेका |
प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनो एका || जय
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे || जय

Friday, July 16, 2021

Babosa Bhajan Sandhya on babosa Panchami

                                    एक बार फिर पावन पंचमी की शाम,बाबोसा भगवान के नाम










परम आराधिका मंजू बाईसा के सान्निध्य में आगामी पंचमी यानि 15 जुलाई को एक बार फिर आनंद लीजिये श्री बाबोसा भगवान के नए मधुर भजनों का।

कार्यक्रम में प्रस्तुति सहयोग का सौभाग्य प्राप्त हुआ है श्री बाबोसा भक्त मंडल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना को।
आप से निवेदन है कि इस भजनसंध्या से अवश्य जुड़ें एवं श्री बाबोसा भगवान की कृपा के पात्र बनें।
जय श्री बाबोसा🙏






Wednesday, July 7, 2021

New Babosa Mandir Inauguration - Sirsa - Haryana

                                                                       भव्य मंदिर लोकार्पण

परम आराधिका मंजू बाईसा ने अपने पावन कर-कमलों से 24 जून को ब्लैक डायमंड केमिकल, सिरसा(हरियाणा) के परिसर में एक भव्य मंदिर का लोकार्पण किया।

                                                                


मंदिर में श्री बाबोसा भगवान के संग श्री हनुमान जी एवं साँई नाथ महाराज की मूर्तियां भी प्रतिष्ठापित की गईं।
कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनजर सीमित संख्या में ही भक्तों को आमंत्रित किया गया था। श्री अजय बैद,अरुण सुराणा, दीपक दुगड़, भरत छाजेड़ ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी।

                                                                        


परम श्रद्धेय प्रकाश भाई जी ने सभी भक्तों को परिवार में प्रेम और शांति के साथ रहने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर फैक्ट्री के संचालक श्री अरुण जैन,सुरेंद्र डागा एवं गौतम बांठिया ने अपने पारिवारिक जनों के साथ बाईसा एवं भाईजी का भावपूर्ण स्वागत किया।
            



                                                                    



Sunday, November 18, 2018

New Bhajan - Mujhe Raas Aa Gaya


मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना

मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना,
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया ठिकाना


मुझे कौन जानता था, तेरी बंदगी से पहले,
तेरी याद ने बनादी, मेरी ज़िन्दगी फ़साना 



मुझे इस का ग़म नहीं है , के बदल गया ज़माना
मेरी ज़िन्दगी के मालिक, कहीं तुम बदल ना जाना 



तेरी सांवली सी सूरत, मेरे मन में बस गयी है 
ए संवारे सलोने, अब और ना सताना



मेरी आरज़ू यही है , दम निकले तेरे दर पे,
अभी सांस चल रही है , अभी तुम चले ना जाना






Mujhe Raas Aa Gaya Hai,
Tere Dar Pe Sar Jhukana

Mujhe Raas Aa Gaya Hai, Tere Dar Pe Sar Jhukaana,
Tujhe Mil Gaya Pujaaree, Mujhe Mil Gaya Thikaana


Mujhe Kaun Jaanata Tha, Teree Bandagee Se Pahale,
Teree Yaad Ne Banaadee, Meree Zindagee Fasaana 



Mujhe Is Ka Gam Nahin Hai , Ke Badal Gaya Zamaana
Meree Zindagee Ke Maalik, Kaheen Tum Badal Na Jaana 



Teree Saanvalee See Soorat, Mere Man Mein Bas Gayee Hai 
E Sanvaare Salone, Ab Aur Na Sataana



Meree Aarazoo Yahee Hai , Dam Nikale Tere Dar Pe,
Abhee Saans Chal Rahee Hai , Abhee Tum Chale Na Jaana

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बाबोसा भगवान व्रतोत्सव

                                                                                          जय श्री बाबोसा                                   ...